कैसे बिखरता है एक परिवार और छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज़ कर कैसे बनाए रखे रिश्तों की डोर - एक कहानी

 

सबसे पहले मैं खबरताज़गी का धन्यवाद करना चाहूँगी, जिन्होंने मुझे लिखने का अवसर प्रदान किया। आजकल हम अक्सर देखते हैं कि लोग एक-दूसरे से अलग हो रहे हैं। कोई एक ही घर में रहकर भी बात नहीं करता, और ऐसे कई मामले सामने आते हैं।आख़िर ऐसा क्यों होता है कि एक इंसान हर किसी से दूर होता जा रहा है? कभी खुद को उनकी जगह पर रखकर, और उनके दृष्टिकोण से सोचकर देखिए, सबकुछ साफ़ हो जाएगा।

ईश्वर ने हमें कई रिश्ते दिए हैं – दोस्ती, दुश्मनी, परिवार। एक दिन सबकुछ छूट जाता है, लेकिन परिवार नहीं बिखरता। क्या आप जानते हैं, ऐसा क्यों?l

FAMILY = Father and Mother I Love You

अब तो आप सब समझ ही गए होंगे कि परिवार क्यों नहीं बिखरता। इस शब्द में ही माँ-बाप का नाम जुड़ा हुआ है। माँ-बाप का क्या महत्व होता है, ये शायद बताने की ज़रूरत नहीं है। परिवार का हर रिश्ता माँ-बाप से ही जुड़ा होता है।

सिर्फ माँ-बाप ही नहीं, ससुराल भी एक रिश्ता है। ससुराल कोई शब्द मात्र नहीं है, यह भी एक परिवार ही है – चाहे वह लड़के का हो या लड़की का।

आजकल हम देखते हैं कि एक भाई अपने परिवार से अलग हो जाता है। पर इसकी वजह कोई और नहीं, बल्कि हमारा ईगो (अहंकार) ही होता है। यही अहंकार हमें एक-दूसरे को नापसंद करने पर मजबूर कर देता है।

रिश्तों में दूरियाँ गलतफहमियों की वजह से बढ़ती हैं। जब गलतफहमियाँ दिल में जगह बना लेती हैं, तो रिश्ते बिखरने लगते हैं।

आज के युग में लोग दूसरों से तुलना करने में व्यस्त हैं – "उनके साथ ऐसा क्यों है और मेरे साथ क्यों नहीं?"
आपको चाहिए कि पहले अपने साथ दो दृष्टिकोण से चलें – एक उत्तल (convex) और दूसरा अवतल (concave)। जब आप दूसरों को जज कर रहे होते हैं, तो एक बार खुद को भी जज कीजिए।

दोस्ती के रिश्तों से अलग होना आसान हो सकता है, लेकिन परिवार के रिश्तों से दूर जाना इतना सरल नहीं है।
अगर आपकी नजर से देखा जाए, तो जब कोई आपको किसी और से तुलना करता है या कुछ कहता है, तो बुरा लगना स्वाभाविक है – आप भी इंसान हैं। लेकिन एक बार सोचिए, क्या एक पल की बात को दिल से लगाकर रिश्तों से दूर हो जाना सही होगा?

रिश्ते सिर्फ माँ-बाप से नहीं बनते, बल्कि उनसे जुड़े हर एक रिश्ते को निभाना पड़ता है। रिश्तों को संभालने के लिए समझदारी और धैर्य जरूरी है, क्योंकि परिवार का हर रिश्ता हमारे जीवन का हिस्सा होता है और इसे बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है।

एक और बात – गुस्से में आकर आप अलग हो सकते हैं, लेकिन कभी अपने बच्चों को देखकर सोचिए कि अगर एक दिन उन्होंने भी आपको खुद से अलग कर दिया, तो कैसा महसूस होगा?

परिवार में रहते हुए कुछ बातें ज़रूर चुभती हैं, लेकिन सोचिए, अगर आपके बच्चे दादा-दादी या नाना-नानी का प्यार नहीं पाएँगे, तो उनका बचपन अधूरा नहीं रह जाएगा?

हम अपनी परिस्थिति में दूसरों पर भरोसा कर लेते हैं, एक बाहरी व्यक्ति पर भी विश्वास कर लेते हैं। लेकिन अपने ही घर के लोगों पर भरोसा करना क्यों मुश्किल हो जाता है?

भगवान भी एक ही घर में सभी को एक जैसा नहीं बनाते। हर इंसान अलग होता है। जानते हैं क्यों? ताकि कोई हमें मजबूत बनने की हिम्मत दे सके, तो कोई हमें अकेले में रोने की वजह भी दे सके। यही ज़िंदगी है और यही रिश्तों का असली सार है।

पता है, हम लोग सिर्फ खुशी को ही अच्छा मानते हैं। लेकिन एक बात बताइए, अगर हम हमेशा मुस्कुराते रहें, तो सामने वाली दुनिया कहेगी कि ये बस हँसते ही रहते हैं। फिर कभी खुद आपको भी लगेगा कि हमारे आँसू क्यों नहीं निकलते।

इसीलिए, एक घर में चार लोगों में से कोई एक ऐसा होता है, जो दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाता और सबके सामने रोकर हल्का हो जाता है। हाँ, यह कहना आसान लग सकता है, लेकिन मैं दिल से कहती हूँ – अगर बुरा लगे, तो कुछ देर खुद से बातें करके रो लिया करो। पर अपनी फैमिली से अलग होने का कभी मत सोचो।

फैमिली दोस्त नहीं होती, ये तो बस परिवार होती है, जिसे बार-बार समझाने की ज़रूरत नहीं होती। रिश्तों में समझदारी होना बहुत जरूरी है। गुस्से में अक्सर किसी का भला नहीं होता, नुकसान ही होता है। मान लिया आपने गुस्से में कुछ कह दिया, पर उससे हासिल क्या हुआ? आपकी एक बात से कोई इतना आहत हो सकता है कि डिप्रेशन में चला जाए या अपनी जान तक ले ले।

आजकल की ज़िंदगी में लोग दोस्ती को परिवार से ऊपर मानने लगे हैं। लेकिन एक बात सोचिए, जब आपका दोस्त अकेले रहकर अपनी ज़िंदगी एन्जॉय कर सकता है, तो क्या आपको भी वैसा ही करना चाहिए?
वो अकेला है, लेकिन आपके पास परिवार का पूरा ट्री है। जब कुछ होगा, तो वो किसके पास जाएगा? लेकिन आपके पास आपका परिवार हमेशा खड़ा रहेगा। यही फायदा होता है एक परिवार का।

रिश्ता कोई भी हो, दुखी होने पर खुद से पूछिए कि वो ऐसा क्यों बोला। आपको जवाब ऊपरवाला देगा कि "तुम सबसे प्यारे हो, बस मेरे दिए रास्ते पर चलते रहो।"
हर कोई इंसान नहीं बनता, जिसके अंदर कुछ अलग रूप हो, वही इंसान के रूप में आता है।

अब मैं ज़्यादा कुछ नहीं कहूँगी। बस यही कहूँगी कि मेरी बातों को सोचिए और यह बताइए कि आपके मन में क्या सवाल हैं। अपने सवालों का जवाब जरूर दीजिएगा।

और हाँ, फैमिली कभी खत्म नहीं होती। उस पर धुंध की परत जम सकती है, लेकिन वह धुंधली नहीं हो सकती।

FAMILY = Father And Mother I Love You
परिवार एक जान है, जो खुशी और दुख को साथ लेकर चलता है।
जहाँ परिवार होता है, वहीं एक घर होता है।
परिवार एक-दूसरे की आँख है, जो रोते भी साथ है।

धन्यवाद मेरे प्यारे बड़े और छोटे, और खासकर खबरताज़गी की पूरी टीम को। ❤️

Written by: Annu Kumari


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