विनीता के घर में उसकी माँ, पिता और एक छोटा भाई था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए विनीता को घर के कामकाज के साथ-साथ बाहर भी काम करना पड़ता था। वह दूसरे लोगों के घरों में सफाई का काम करती थी। विनीता शुद्ध शाकाहारी थी और मांस-मछली जैसे नॉन-वेज खाने से दूर रहती थी। उसके लिए यह सब खाना पाप के समान था।
एक बार की बात है, विनीता को काफी समय तक काम नहीं मिल रहा था। घर की आर्थिक स्थिति और खराब होती जा रही थी। उसके माता-पिता और छोटे भाई का पेट पालने के लिए वह बहुत परेशान थी। आखिरकार, उसे एक परिवार के यहाँ काम मिल गया, लेकिन वहाँ उसे रोज मांसाहारी बर्तन साफ करने पड़ते थे। यह काम उसके लिए बहुत मुश्किल था, क्योंकि वह मांस और मछली से दूर रहती थी। वह हर रोज घर आकर भगवान कृष्ण के सामने रोती और प्रार्थना करती कि उसकी स्थिति सुधरे।
विनीता की भक्ति और लगन देखकर ऐसा लगता था कि वह भगवान कृष्ण से सीधे जुड़ी हुई है। उसकी आस्था और विश्वास इतना गहरा था कि वह हर परिस्थिति में भगवान का नाम लेती और उन्हीं से मदद मांगती। कई दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। विनीता का मन हमेशा भगवान कृष्ण की भक्ति में लगा रहता, लेकिन उसकी जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ रहा था।
फिर एक दिन ऐसा हुआ कि विनीता की किस्मत ने करवट ली। भगवान कृष्ण ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उसकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया। उसकी मुलाकात एक ऐसे लड़के से हुई, जो खुद भी भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त था। वह लड़का भी विनीता की तरह धार्मिक और भक्ति में लीन था। दोनों की शादी हो गई और विनीता की जिंदगी में खुशहाली आ गई।
विनीता का पति उसका बहुत सम्मान करता था और उसकी भक्ति को पूरा सपोर्ट करता था। दोनों मिलकर भगवान कृष्ण की पूजा करते और उनकी कृपा से उनका जीवन सुखमय हो गया। विनीता को अब यह समझ में आ गया कि भगवान ने उसकी भक्ति और विश्वास को देखकर ही उसकी किस्मत बदली थी।
इस तरह, विनीता की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम सच्चे मन से भगवान की भक्ति करें और उन पर पूरा विश्वास रखें, तो वह हमारी हर मुश्किल को आसान कर देते हैं। विनीता की तरह हमें भी हर परिस्थिति में धैर्य रखना चाहिए और भगवान की शरण में रहना चाहिए।
विनीता की कहानी यह भी बताती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, अगर हम अपने ईश्वर पर विश्वास रखें और उनकी भक्ति में लीन रहें, तो हमारी हर समस्या का समाधान हो जाता है। विनीता ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उसने कभी भगवान कृष्ण का साथ नहीं छोड़ा। और अंत में, भगवान ने उसकी मेहनत और भक्ति को देखकर उसकी जिंदगी को सुखमय बना दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईश्वर की भक्ति और सच्ची लगन से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। विनीता की तरह हमें भी हमेशा अपने ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए और उनकी शरण में रहना चाहिए।

